The last letter: आखिरी खत

एक आखिरी ख़त…..

       बहुत कोशिश की तुम्हे भूलने की पर नाकाम रहा ।                                    तुम अक्सर चली आती हो मेरे सपनो में ; मेरी कविताओं में ;कभी आखिरी साँस बनकर :कभी मेरे जीने की इकलौती आस बनकर ; कभी आंसू बनकर बह जाती हो ; और कभी-कभी दर्द बनकर दिल में ही रह जाती हो!

  तुम्हे शायद खबर नही होगी कि तुम्हारे जाने के बाद जमाना मेरा दुश्मन सा बन गया है ; शायद तुम ये तो कभी नही चाहती थी । खैर जिंदगी अब थोड़ी मुश्किल सी हो गयी है ।

            तुम्हे पता है तुम्हारे बारे में सबसे खास क्या है ,तुम्हारी यादें । तुम्हारी यादों में मैं आजकल खुद की तलाश करता हूँ । तुम शायद भूल गयी होगी मगर मुझे वो पहला दिन अच्छे से याद है, वो पहली क्लास और लोगों से भरा वो छोटा सा कमरा । उन सबके लिए शायद मैं एक नमूना था मगर उस भीड़ में मुझे सिर्फ तुम्हारे साथ एक अपनापन महसूस हुआ।

                 अरे ! मुझे तो वो दिन भी याद है जब पूरा कमरा तुम्हे मेरा नाम लेकर छेड़ रहा था और तुम शर्मीले से अंदाज में मेरा बचाव कर रही थी ;बस मैं उसी दिन से तुम्हारी खुशियो में अपनी खुशियां तलाशने लगा था ।।

            तुम्हे शायद याद न हो मगर तुम्हारे जन्मदिन पर मैंने पहली और आखिरी बार शराब पी थी क्योंकि तुमने अपने हाथो से मुझे दी थी , मैं भला मना करता भी तो कैसे? और हाँ उसके बाद घर जाकर मैंने ढेर सारी उलटी की थी । काश तुम्हें ना कहने की हिम्मत होती मुझमें ।

                तुम्हे वो बातें तो जरूर याद होगी जब तुम हमेशा के लिए मेरा साथ देने की कसमें खाया करती | 

             और उसके बाद न जाने क्यों हमारे बीच में दूरियां आ गयी । तुम मुझसे दोस्ती का वो रिश्ता तोड़ कर चली गयी और मुझे तुम्हे रोकने का मौका भी नही मिल पाया,मेरे हालातों ने मेरी हर कोशिश नाकाम कर दी ।


            और न जाने क्यों मैं अब भी तुमसे गुस्सा नही हूँ रोज खुद को इल्ज़ाम देता हूँ ये सोच कर कि शायद मेरी ही कोई गलती रही होगी क्योंकि तुम कभी ग़लत हो ही नही सकती ।।

     शायद तुम जिंदगी में खुश हो मगर मैं हर रोज एक गम के साथ उठता हूँ ,तुम्हे खोने का गम ।

कल कई सालों बाद तुम फिरसे मेरे सामने खड़ी थी। तुम्हारी नज़रें शायद मुझे ढूंढ नही पाई होगी मगर मेरी नजर एक पल के लिए भी तुमसे न हटी ।। और ये क्या ? तुम चल दी!! मन हुआ रोक लू तुम्हे ;तुमसे तुम्हारे जाने की वजह तो पूछ ही लूँ , मगर मैंने जाने दिया तुम्हे |

    तुम्हारा मुझ से दूर जाता एक-एक कदम तुम्हे मेरी जिंदगी से कोसो दूर ले जा रहा था और मैं भीड़ में अकेला खड़ा अपनी बर्बादी के आंसू बहा रहा था ।।

    जानता हूँ कि तुम कभी मेरे थे ही नही मगर इस लम्हे का मुझे उम्र भर मलाल रहेगा ……………………………….काश तुम्हे उस दिन तुम्हे जाने से रोक लेता…………..।।

          – तुम्हारा

                 (वो नाम जो मुझे सिर्फ तुमसे सुनना ही अच्छा लगता था )

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