नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
लावा रगो में , अंगारे सी जलती आँखे
और लबो पर गीत सदा आजादी के
हर कतरा ख़ूँ का क़ुर्बा वतन पर
कुछ ऐसे जन जन के “नेताजी” थे ।।
वेश भी बदला , देश भी छोड़ा
जर्मनी जाकर सैनिक जोड़े
और दिल में हर पल आजादी का आभास रहा
जब जब जिक्र हुआ आजाद हिन्द का
गर्व से हर हिंदुस्तानी ने “सुभाष” कहा ।।
सदियो से जंजीरो में जकड़े देश को
जिसने शान से जीने की अभिलाषा दी
उस “चन्द्र” के जीवन दर्शन ने
हिन्द की हिम्मत को परिभाषा दी ।।
आजाद हूँ मैं , आजाद हो तुम भी
आओ वतन पर मिटने वालो का उदघोष करें
हिन्द के सच्चे नायक की याद में
सुथार एक स्वर में “बोस” कहें ।।
– गुलेश सुथार