गांधी या गोडसे

सत्य , अहिंसा और शांति की मूरत है गांधी,

राष्ट्रपिता के हत्यारे की सूरत है गोडसे।

लाठी , धोती ओर एक चरखे के दम पर

आजादी लाने वाले संत है गांधी ,

अहिंसा के चेहरे की हत्या का आंतक है गोडसे ।

देश की खातिर सब कुछ तजकर श्रेष्ठ नज़र आते है गांधी

एक वृद्ध की हत्या कर गौण हो जाता है गोडसे।

मगर दामन में अपने देश बांटने का दाग लिए बैठे है गांधी

संत हत्या का पाप किए बैठा है गोडसे ।

आगजनी की एक घटना पर  ‘असहयोग ‘ डिगाते हैं गांधी,

विश्व युद्ध मे ब्रितानी सरकार के भागीदार हो जाते है गांधी,

मगर ‘अखण्ड भारत” के स्वपन में अपना सम्मान लुटा बैठा है गोडसे,

मरते देख लोगों को बंटवारे पर

“गांधी वध” का साहस जुटा बैठा है गोडसे।

देशप्रेम में क्रांतिकारी के बलिदानों को आतंक बतलाते है गांधी,

“जलियांवाला बाग” पर मौन क्यूं रह जातें है गांधी ,

हिन्द को नेहरू पाक को जिन्ना की जागीर बना डाला ग़ांधी ने,

मगर आजाद , सावरकर की बलिदानी का दम भरकर ये क्या डाला गोडसे ने ।

लाख करो कोशिश मगर तुम 

गोडसे को गाँधी से अलग नही कर सकते हो

जब जब गाँधीजी का इतिहास लिखा जाएगा

गोडसे का जिक्र किया जाएगा

आखिर कौन सही था

गाँधी या गोडसे ??

          – गुलेश सुथार

                    

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