मोहब्बत कोई दवा नही है, एक मर्ज है ।
मोहब्बत का कोई किस्सा नही, बस एक कहानी है;
ये समझदारों का हुनर नही, बेवकूफों की निशानी है ।
दिल के पाक डूब जातें है यहां, ये बेईमानों का कारोबार है;
आज की रद्दी बन गया जो, मोहब्बत कल का वो अखबार है ।
मोहब्बत कोई जश्न नही है, बस एक अफसोस है ;
यहां किसी के पाने की रती भर भी उम्मीद नही, बस खुद के खो जाने का रोष है ।
मोहब्बत कोई शौक नही , ये जो मिटा देती है खुद को वो लत है;
बदनाम कर दिया आशिक़ जमाने में जिसने , ये वो आदत है ।
जानते थे सब कि डूब जाएंगे मग़र खुद को
आजमाना जरूरी था,आखिर एक तज़ुर्बे में क्या हर्ज है ;
सनद रहे , मोहब्बत कोई दवा नही , एक मर्ज है ।।
गुलेश सुथार
*सनद-याद